आईटीएम स्कूल बंद करने के आदेश के बाद अभिभावक परेशान।
मसूरी। लंढौर छावनी स्थित आईटीएम विद्यालय बंद करने के निर्देश आने पर अभिभावकों में भारी आका्रेश देखा गया वहीं मांग की गई कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए विद्यालय को बंद न किया जाय। अभिभावकों ने प्रधानाचार्य के माध्यम से स्कूल प्रबंधन को ज्ञापन भेजकर स्कूल यथावत संचालित करने की मांग की है। स्कूल बंद होने की सूचना पर अभिभावकों ने स्कूल का घेराव किया व मांग की कि स्कूल बंद न किया जाय। ऐसे में बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जायेगा व बीच में कौन स्कूल बच्चों को एडमिशन देगा। मौके पर मौजूद अभिभावक भीम सिंह, कविता व सीमा ने कहा कि सभी अभिभावक स्कूल बंद होने की सूचना से खासे परेशान है। सभी को बच्चों की चिंता हो गई है कि उनके बच्चे अब कहां जायेंगे, ऐसे समय में कोई भी स्कूल बच्चों को नहीं लेगा अगर ले भी लिया तो आने जाने की व्यवस्था कैसे हो पायेगी। क्यो ंकि सभी गरीब परिवार के बच्चे है तथा यहां पर स्कूल नजदीक होने के कारण पढ़ाते थे व यहां की पढ़ाई भी बहुत अच्छी थी। सभी लोग काम करने वाले है कैसे बच्चों को छोडने जायेंगे क्यों कि यहां से सभी स्कूल काफी दूर है अगर वाहन करते है तो पैसा बहुत अधिक लगेगा। जबकि यहां पर बच्चे सुरक्षित भी थे। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल बंद न किया जाय। इस संबंध में छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष बादल प्रकाश ने कहा कि इस सूचना से सभी अभिभावक परेशान है तथा मै इनके साथ खड़ा हूूं। उन्होंने बताया कि स्कूल बंद होने की सूचना पर उन्होंने आईटीएम के कर्नल ठाकुर से बात की तो उन्होंने कहा कि यह निर्देश पीएमओ से आया है कि देश में जहां भी इस तरह के स्कूल चल रहे हैं वह बंद किए जाये व उन्हें प्रोफेशनल आर्गनाइजेशन के साथ स्कूल चलायें। स्कूल के अभिभावक मेरे पास समस्या को लेकर आये थे इस संबंध मंे स्कूल की प्रधानाचार्या मधु से भी बात हुई। वह इस समस्या में अभिभावकों के साथ है तथा इस संबंध में लगातार प्रयास कर रहे है कि अगर कोई बीच का रास्ता निकल सकता है व एक साल के लिए भी स्कूल को आगे बढाया जाता है तो कम से कम अभिभावक अपने बच्चों को दूसरे स्कूलों में डाल सकेंगे। इस सबंध में आईटीएम के निदेशक से भी बात की जायेगी। वहीं यह भी प्रयास है कि अगर मसूरी के विभिन्न स्कूलों में बच्चों को बिना किसी एडमिशन फीस के प्रवेश दिला दिया जाये ताकि बच्चों का भविष्य बर्बाद न हो। वहीं यहां गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते है ऐसे में दूसरे स्कूलों में अधिक फीस देना भी भारी पडे़गा जबकि वे आर्थिक रूप से कमजोर है। वहीं अभिभावक डीआरडीओ को भी ज्ञापन देनें जा रहे हैं।