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देहरादून,रंगकर्मी सुरेंद्र भंडारी की मौत पर कोंग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना ने किया शोक व्यक्त।

प्रसिद्द रंगकर्मी सुरेंद्र भंडारी की कोरोना से मौत,गढ़वाली फिल्मों व अनेक नाटकों में निभाई थी अहम भूमिका
देहरादून में रंग मंच के सूत्रधार थे सुरेंद्र भंडारी- धस्माना
देहरादून : उत्तराखंड के प्रसिद्द रंगकर्मी व उत्तराखंडी फिल्मों के कलाकार सुरेंद्र भंडारी की कोरोना से मृत्यु पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके पारिवारिक मित्र उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने स्व0 भंडारी की मृत्यु को पूरे राज्य के रंगमंच व क्षेत्रीय भाषायी फिल्मों के लिए एक बड़ा आघात बताया। उन्होंने कहा कि स्व0 भंडारी का देहरादून व उत्तराखंड के रंगमंच में अतुलनीय योगदान रहा है, युवमंच, युगांतर व कला मंच जैसी रंगमंच की संस्थाओं के निर्माण उनके द्वारा नाटकों का मंचन अभिनय निर्देशन इन सब विधाओं में दिवंगत भंडारी निपुर्ण थे।और वास्तव में देहरादून रंगमंच के सूत्रधार थे।धस्माना ने स्व0 सुरेंद्र भंडारी के फिल्मी सफर व रंगमंच के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गढ़वाली फ़िल्म “कभी सुख कभी दुख” में अभिनय व “मेरी प्यारी बोई” में निर्देशन में हमेशा याद किया जाएगा।बेगम का तकिया,अंधा युग, डेथ इन इन्स्टालमेन्ट ,पहला विद्रोही, दुलारी बाई,कागज़ की कतरनें,जात न पूछो साधू की,काफी हाउस में इंतज़ार,रागदरबारी,खौफ की परछाइयां जैसे नाटकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बड़ी बुआ जी में अनाथ की भूमिका में बहुत प्रशंसा बटोरी थी। उन्होंने बताया कि दिवंगत भंडारी से उनके चार दशकों से पारिवारिक रिश्ते थे और वे परिवार के सदस्य की तरह ही थे। उन्होंने दिवंगत भंडारी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि “सुरेंद्र भाई हमारे बड़े भाई जैसे थे , मेरे दोनों बड़े भाइयों डॉक्टर श्रीकांत धस्माना के सहपाठी व मुकेश भाई के अभिन्न मित्र व रंगमंच और फिल्मों में साथी।उनको खो कर अत्यंत पीड़ा का अनुभव हो रहा है।धस्माना ने बताया कि स्वर्गीय भंडारी अपने पीछे धर्मपत्नी व एक बिटिया को छोड़ गए हैं। उन्होंने बताया कि स्व0 भंडारी के कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार दाहसंस्कार सम्पन्न कर दिया गया।

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