देहरादून, कांवली रोड़ स्थित स्टेट बैंक में कोरोना की आड़ में खाता धारक को कई-कई घण्टे बहार खड़ा करके रखते हैं।जबकि बैंक की तरफ से पानी की ओर बैठने की व्यवस्था भी नही है।

देहरादून,कांवली रोड़ स्थित स्टेट बैंक में कोरोना के नाम पर खाता धारक को कई-कई घण्टे बहार खड़ा रहना पड़ता है।जिससे खाता धारक खड़े खड़े थक कर नीचे ही बैठ जाते हैं।और बैंक की तरफ से ना कोई बैठने की व्यवस्था है ना पानी की व्यवस्था की गई है।हमने एक खाता धारक से पूछा तो उस आदमी ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि वो 25 तारीख से रोज बैंक में अपने खाते की फ़टी हुई किताब बनवाने आ रहा है लेकिन रोज ये कह कर टाल दिया जाता है कि सर्वर डाउन चल रहा है।जबकि उसका कहना है कि दस दिन से रोज कई घण्टे खड़े होने के बाद बिना किताब लिए वापस चला जाता हूँ।वहीं सभी खाता धारकों में गुस्सा देखने को मिला सबने कहा कि सिर्फ इस बैंक में बहार खड़े रहते हैं।जबकि ओर बैंक में अब ऐसा नही है।सब कस्टमर अंदर बैठते हैं।और यहां खड़े-खड़े थक जाते और या परेशान होकर घर चले जाते हैं।अगर अंदर बोलो तो कर्मचारी ओर गार्ड कस्टमर के साथ अभद्रता करते हैं।कई लोगो का कहना है कि वो इस बैंक में खाता खुलवाकर फंस गए है।कोई भी कर्मचारी सीधे मुँह बात नही करता है।जब हमने कवरेज की तो बैंक का गार्ड जिसकी नेमप्लेट भी नही थी वो बैंक के बड़े अधिकारी पर अपना रॉब झाड़ते हुए अधिकारी को ये कहकर मना कर रहा था कि आप मीडिया कर्मी से बात ना करें और अपने काम मे ध्यान दें।इसी तरीके से ये गार्ड लोगों से भी अभद्रता करता है।बैंक अंदर जाकर देखा तो कई कर्मचारी अपनी सीट पर नही थे।सिर्फ चार कर्मचारी काम कर रहे थे।बाकी कुर्सियां खाली पड़ी थी।
ये पूछने पर की ओर कर्मचारी कहाँ है तो किसी ने भी जवाब देने से मना कर दिया।जब हमने कवरेज करने की कोशिश की तो सब गार्ड ने धमकी देते हुए कैमरा बन्द करवा दिया और पुलिस को बुलाने की धमकी देकर जोर जोर से बोलने लगा।क्या यही सलीका है,बात करने का बैंक कर्मियों का, इस बैंक में अधिकतर मध्यम वर्गीय लोगों के खाते खुले हुए हैं।और वो लोग है जो अपना नाम भी लिखना नही जानते इस वजह से शायद ये सोचकर कि ये हमारा क्या बिगड़ेगा इएलिये उसकी गरीबी और जानकारी ना होने की वजह से उनको बहार खड़े होने की सजा दी जाती है।