देहरादून, कैंट स्तिथ गोर्खाली सुधार सभा मे गोर्खाली हरितालिका तीज महोत्सव में निर्त्ये करती महिला व मेहंदी प्रतियोगिता में भाग लेती महिलाएं।

गोर्खाली महिला हरितालिका तीज उत्सव समिति ने कैंट गोर्खाली सुधार सभा में मनायी।
देहरादून 21 अगस्त में अपना 15वाँ गोर्खाली महिला हरितालिका तीज विश्वव्यापी कोरोना महामारी के संक्रमण के कारण सुरक्षा हेतु सामाजिक दूरी का पालन करते हुये सीमित संख्या में सूक्ष्म रूप में मनाया । समिति की अध्यक्षा कमला थापा ने अवगत कराया कि समिति विगत 14 वर्षों से इस उत्सव का भव्य आयोजन एक मेले के रूप में मकरती आ रही है।विगत वर्ष उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मेले को भव्य आयोजन को राजकीय मेले का दर्जा देने की घोषणा भी कर दी है। इस वर्ष के आयोजन में किसी भी गणमान्य अतिथि को आमंत्रित नहीं किया गया है।केवल समिति के सदस्यगण ही सीमित संख्या में सूक्ष्म रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। *हरितालिका तीज* सम्पूर्ण विश्व एवं भारतवर्ष में निवास करनेवाले हिंदू समाज की नारियों द्वारा मनाया जाने वाला एक पवित्र,धार्मिक,सौभाग्यशाली पर्व है।अपने पति की दीर्घायु ,तथा परिवार के सौभाग्य,कल्याण एवं सुख शांति हेतु हिंदू नारियों द्वारा व्रत,माँगलिक अनुष्ठान के रूप में मनाया जाने वाला पर्व है ।वैसे तो पूरे भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों — बिहार,उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखण्ड में यह पर्व मनाया जाता है।परंतु गोर्खाली समाज की महिलाएँ यह पर्व अपने पति की दीर्घायु,जन्म जन्मांतर प्रेम ,सुख शांति हेतु कठोर निर्मला व्रत रखकर मनाती है।अविवाहित कन्याएँ भी योग्य वर पाने हेतु इस व्रत को रखती हैं।पुराणों के अनुसार माँ पार्वती ने भगवान शंकर को अपने पति रूपमें पाने के लिए हिमालय पर्वत पर कठोर तप किया एवं भाद्रमास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को गंगातट पर रेत के शिवलिंग की स्थापना कर व्रत,पूजा-अर्चना की और तब शिवजी ने प्रसन्न होकर उन्हें पत्नीरूप में स्वीकार किया।उसी दिन से मह हिंदू नारियाँ हरितालिका तीज व्रत को अपने सुहाग के उत्सव के रूप मे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करते हुए मनाती हैं ।इस दिन महिलाएँ कठोर निर्मला व्रत रख,सामुहिक रूप में रेत का शिवलिंग स्थापित कर पूजा भजन कीर्तन एवं पूर्ण रात्रि जागरण करती हैं।एवं सुहागिन महिलाओं को श्रृंगार सामग्री,वस्त्र, मिष्ठान फल एवं यथाशक्ति दान करती हैं । मान्यता हैकि विधि विधान से इस व्रत को रखने से अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आज सर्व प्रथम तीज समिति की महिलाओं ने शिवजी के पार्थिव स्वरूप की विधिवत पूजा अर्चना की एवं सबके सुख सौभाग्य एवं संपूर्ण विश्व को कोरोना महामारी से मुक्त स्वस्थ जीवन की शुभ मंगल कामनाएँ की । गोर्खाली सुधार सभा के अध्यक्ष पदम सिंह थापा,समिति की अध्यक्ष कमला थापा,संरक्षिका गोदावरी थापली उपाध्यक्ष मीनू क्षेत्री ने दीप प्रज्वलित कर आयोजन का शुभारंभ किया।पदम सिंह थापा ने सभी को तीज पर्व की शुभकामनाएं दीं मीडिया प्रभारी प्रभा शाह ने अवगत कराया कि लोकगीत एवं लोकनृत्य तीज पर्व की आत्मा हैं। चूँकि इस बार किसी भी कलाकार को आमंत्रित नहीं किया गया था।इसलिए तीज समिति के सदस्यों ने तीज के पारम्परिक लोक गीतों पर सामुहिक नृत्य किये।छोटी बालिकाओं तनीषा गुरूंग,अनुष्का थापा एवं बाल कलाकारों ने अपनी लोकनृत्य की मनमोहक प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।तीज समिति की सरोज गुरूंग,सविता क्षेत्री,माया पँवार,पूजा सुब्बा,कविता क्षेत्री एवं रितिका क्षत्री ने भी लोकनृत्य की सतरंगी छटा बिखेरी सामुहिक नृत्य –“तीज को लहर आयो बरी लै”एवं “तीज को रम्म झम्म” आदी लोकगीतो में जमकर नृत्य किया।इस अवसर पर समिति के संरक्षक सूर्य विक्रम शाही,संरक्षिका श्रीमती गोदावरी थापली,अध्यक्ष श्रीमती कमला थापा, उपाध्यक्ष श्रीमती मीनू क्षेत्री, सचिव पूजा सुब्बा, मीडिया प्रभारी प्रभा शाह, कोषाध्यक्ष बुद्धिमान थापा, देविन शाही,ज्योति कोटिया,सुनीता क्षेत्री,निर्मला थापा,संध्या थापा,सविता क्षेत्री,पुष्पा क्षेत्री,माया पँवार,टेकू थापा,सरोज गुरूंग,पूनम गुरूंग, कविता क्षेत्री,मधु खनाल, विनिता खत्री,उषा राना, विनिता क्षेत्री,आकांक्षा खड़का,आदि उपस्थित थे।