मसूरी का शांत वातावरण महान हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव को नया करने को प्रेरित करता था।
मसूरी। ख्याति प्राप्त हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव के बीमारी के बाद निधन से मसूरी में भी शोक की लहर छाई है। क्यो कि वह कई बार मसूरी आये व यहंा की शांत वादियों व प्रकृति का आनंद लेते रहे। वह अंतिम बार मई 2018 में मसूरी लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी आये थे।
लेकिन वहां से समय निकाल कैमल्स बैक रोड घूमने गये थे। तथा अपने प्रसंसकों से मिले व उनके साथ बातचीत करने के साथ ही उन्होेंने अपनी हास्य विधा से लोगों को गुदगुदाया भी। उन्हे मसूरी बहुत पसंद थी तब उन्होंने कहा था कि पहाड़ों की रानी मसूरी की हसीन वादियां व मौसम उन्हें यहां खींच कर ले आता है। यहां शांति व सकून मिलता है और कुछ नया करने के लिए सकारात्मक उर्जा मिलती है। जब वह कैमल्स बैक रोड पर पैदल घूम कर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे तो लोगों ने उन्हें पहचाना व उनके साथ फोटो खिंचवाने के लिए प्रसंसकों की होड़ लग गई। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि मसूरी वह पहले भी कई बार आ चुके हैं यहां का मौसम व शुद्ध हवा हरियाली मन को भाती है। उन्हांेने कहा कि यहां के लोग भी अच्छे हैं जिस उत्साह व उजर्ा्र से मिलते हैं खुशी होती है। उन्होंने बताया कि वह इस बार तीन चार साल बाद आये हैं यहां की शांत वादियों में जहां सकून मिलता है वहीं नये आइडिया मिलते हैं। चारों ओर प्रकृति की हरियाली फैली है। जबकि मैदानी क्षेत्रों में भीड़, हल्ला ट्रेफिक रहता है जिससे शांति नही मिलती। उन्होंने कहा कि जिंदगी में ऐसा काम करो कि लोग कहें भई तुम रहने दो हम करते हैं। कहा कि जो हंसे उसका घर बसा व जिसका घर बसा उससे पूछो कभी हंसा। हंसना योगा की क्रिया है। उन्हांेने कहा कि गढ़वाली भाषा उन्हें बहुत अच्छी लगती है। बातचीत में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र्र मोदी पर भी व्यंग था कि किसी ने मोदी से पूछा आप हिंदी भाषी नहीं है उसके बाद भी इतनी अच्छी हिंदी कैसे बोल लेते हैं। जिस पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवाज बना कर कहा था कि चाय बेचते बेचते हिंदी सीख ली जैसे यहां पहाड़ पर लोग शराब पीते पीते अंग्रेजी बोलने लगते हैं। उन्होंने पैदल चलते हुए लोगों से मुलाकात भी की व यहां की समस्याओं की जानकारी भी ली। व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने बताया कि राजू श्रीवास्तव जब 2018 में घूमने आये थे त बवह हमारे घर पर भी आये तथा उनके साथ बहुत बातें हुई। खाने में उन्होंने साउथ इंडियन खाना खाया जो घर में ही बनाया गया था। इस दौरान उन्होंने कई व्यंग व हास्य की रचनाएं भी सुनाई। इस दौरान उनके परिजनों के साथ ही आस पास के पड़ोसी सभी आ गए और खूब बात चीत हुई। उन्होंने अपनी ज़िन्दगी के कई मज़ेदार किस्से सुनाये। शाम को उन्होंने प्यूमा शोरूम से खरीदारी करी और उनके परिवार ने नीड्स जनरल स्टोर से उनके लिए गरम थर्मल इनर भी लेकर आये पर उन्होंने गिफ्ट लेने से मना कर दिया और पैसों का भुगतान दुकानदार को किया। बाद में राजू श्रीवास्वत मेरे साथ स्कूटर पर बैठकर कैमल बैक होते हुए गए व् निरंकारी भवन में कुछ देर बैठकर वहां के प्रबंधन से बातचीत की। वह होटल सवाय में रुके थे, तब उन्होंने अपना फोन नंबर भी दिया था। आज वह इस दुनिया को अलविदा कर चले गये जिसका सभी को गहरा दुःख है।