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महाशिव रात्रि पर मदिरों में रही श्रद्धालुओं की भीड़, सुख समृद्धि की कामना की।

महाशिव रात्रि पर मदिरों में रही श्रद्धालुओं की भीड़, सुख समृद्धि की कामना की।

मसूरी। महाशिवरात्रि का पर्व पर्यटन नगरी मेंं धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर प्रातः से ही मंदिरों के श्रद्धालुओं की भीड़ रही व भगवान शिव का जलाभिषेक व दुग्धभिषेक किया व पूजा करने के साथ ही परिवार की सुख समृद्धि की कामना की।


महा शिवरात्रि का पर्व पहाड़ों की रानी मसूरी में धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर लंढौर श्री सनातन धर्म मंदिर, कुलड़ी श्री राधाकृष्ण मंदिर, लाइब्रेरी में श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, सहित अन्य मंदिरों में सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने शिवलिंग की पूज अर्चना की व लिंग का दुग्धाभिषेक, जलाभिषेक किया व बेलपत्री व फूल चढा कर परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। इस मौके पर लंढौर के सामाजिक कार्यकर्ता शानू वर्मा ने कहा कि लंढौर श्री सनातन धर्म मंदिर में प्रातः से ही श्रद्धालु मंदिर में पूजा करने आ रहे हैं व शिवलिंग पर जलाभिषेंक कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना कर रहे हैं। वहीं खेतवाला मॉसी फॉल के समीप पौराणिक प्राकृतिक शिव मदिर है जहां पर शिवलिंग खुले में है और पहाड़े से सीधे शिवलिंग पर जल गिरता रहता है। यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आकर शिवलिंग के दर्शन किए। बताया जाता है कि जो भी मनोकामना यहां पर श्रद्धालु करते है उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। इस मौके पर यहां पर प्रसाद वितरण व भंडारे का आयोजन भी किया गया। मंदिर के पुजारी वासुदेव प्रसाद बडोनी ने कहा कि यह मंदिर बहुत पुराना है तथा गत 35 साल से यहां पर शिव रात्रि के पर्व पर पूजा अर्चना कर रहे है पहले कम लोग आते थे लेकिन अब बहुत दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं जिमें मसूरी व बाहर से भी श्रद्धालु आते हैं। इसकी बडी मान्यता है। यह पर्व भगवान शिव पार्वती की शादी के उपलक्ष में मनाया जाता है। स्थानीय निवासी विक्रम रावत ने कहा कि यह पौराणिक मंदिर है तथा पहले हमारे बुजुर्ग यहां पर शिवरात्रि पर आते थे तब केवल प्रसाद वितरण होता था लेकिन अब युवा पीढ़ी यहां पर शिवरात्रि का पर्व पूरे उत्साह व उल्लास के साथ मनाते हैं व अब भंडारे का भी आयोजन सभी मिलकर करते हैं। इस मौके पर सहारनपुर से आये श्रद्धालु सोनू कुमार ने बताया कि वह शिवरात्रि पर पहली बार यहां आये हैं हालांकि वह इसी क्षेत्र में कार्य करते हैं लेकिन मंदिर में पहली बार आये व आज करीब 30 किमी दूर से पैदल चल कर मंदिर में दर्शन के लिए आये हैं। यह मंदिर प्रकृति की गोद में है और यहां आकर शांति का अनुभव होता है व दर्शन भी बहुत अच्छे से होते हैं।

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