राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा हरबर्टपुर में विभिन्न मांगों को लेकर विचार विमर्श के बाद सरकार से तत्काल राज्य हित में मांगे पूरी करने की अपील की
इलम सिंह चौहान
देवभूमि उत्तराखंड को पृथक राज्य बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले उत्तराखंड आंदोलनकारियों की उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच के बैनर तले हरबर्टपुर मे हिंदू नववर्ष एवं नवरात्रों की पूजा के शुभ अवसर पर एक बैठक हुई जिसमें उत्तराखंड राज्य को बनाने के उद्देश्य एवं राज्य आंदोलनकारियों की लंबित मांगों के निराकरण के लिए चर्चा की गई ।
बताते चलें कि बैठक में वक्ताओं ने कहा कि एक लंबे संघर्ष के बाद और कई बलिदानों के बाद आखिर 9 नवंबर 2000 को देवभूमि उत्तराखंड को एक अलग राज्य का दर्जा मिला । परंतु इस राज्य को बनाने के पीछे जो अवधारणा एवं उद्देश्य थे, जिसमें महिलाओं की बहुत बड़ी भागीदारी रही।
वह मुद्दे 21 वर्ष बाद भी जस के तस है। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने मीडिया के माध्यम से सरकार से मांग की कि जिस प्रकार से उत्तराखंड की जनता ने प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई है, उसी अनुरूप अब सरकार भी छूटे हुए राज्य आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण कर दस फीसदी क्षैतिज आरक्षण को सरकार लागू करें
और साथ ही देवभूमि उत्तराखंड राज्य में हिमाचल की तर्ज पर भू कानून बनाने का काम करें इस अवसर पर वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी उर्मिला शर्मा, गमोहन सिंह नेगी, रामलाल खंडूरी, नरेश बहुगुणा, राजीव बडोनी, अनिल कांडपाल, भारती रतूड़ी, विमला नेगी, नीलम पुरोहित, शारदा बहुगुणा, उषा नौटियाल, मंजू राणा, रामदुलारी कुकरेती, वसुधा नेगी, राकेश अमोली आदि दर्जनों राज्य आंदोलनकारियों ने प्रतिभाग किया।