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लखवाड़ बांध प्रभावित क्षेत्र की एसटी/एससी जन कल्याण समिति के प्रभावित किसानों की समस्याओं को लेकर हुई महत्वपूर्ण बैठक

UK/कालसी
लखवाड़ बांध प्रभावित क्षेत्र की एसटी/एससी जन कल्याण समिति के प्रभावित किसानों की समस्याओं को लेकर हुई महत्वपूर्ण बैठक
इलम सिंह चौहान
विकासखंड कालसी के अंतर्गत आज 13 नवंबर 2022 को लखवाड़ बांध प्रभावित क्षेत्र की एसटी/एससी जन कल्याण समिति के प्रभावित किसानों की महासू देवता मंदिर के पास एक लखवाड़ धर्मशाला प्रांगण महत्वपूर्ण समस्याओं को लेकर महापंचायत की गई ।
जिसकी अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष एवं मंडी समिति चकराता के चेयरमैन जगमोहन सिंह चौहान ने की, इस बैठक में समस्त लखवाड़, बांध विस्थापितों ने भाग लिया।
समिति के महामंत्री इं. स्वराज सिंह तोमर ने समिति द्वारा अभी तक बांध विस्थापितों की समस्याओं के लिए किए गए कार्यों की समीक्षा रिपोर्ट सबके सामने रखी। उन्होंने बताया कि समिति के द्वारा जिलाधिकारी देहरादून तथा जल विद्युत निगम के अधिकारियों के साथ हुई बैठकों में बांध विस्थापितों की समस्याओं पर समिति के अध्यक्ष जगमोहन सिंह चौहान की अध्यक्षता में समस्याओं के निस्तारण के लिए डाकपत्थर स्थित मुख्यालय में बैठकें की गई है
और उनसे मांग की है कि जनजाति एवं अनुसूचित जनजाति के बांध विस्थापितों की समस्याओं को शीघ्र से अतिशीघ्र संज्ञान लेकर इनका निस्तारण किया जाए।
समिति के अध्यक्ष जगमोहन सिंह चौहान ने कहा कि सन 2013 में लखवाड़ बांध के विस्थापितों के लिए पुनर्वास नीति बनाई गई थी जिसके आधार पर गजट भी पास हुआ था परंतु बड़े दुःख का विषय है कि सन 2016 में व्यासी परियोजना के प्रभावित किसानों का भुगतान तो कर दिया गया, लेकिन लखवाड़ बांध प्रभावितों को छोड़ दिया गया था जबकि दोनों परियोजनाएं एक ही परियोजना से संबंधित है, लखवाड़ बांध प्रभावित क्षेत्र के विस्थापित लोगों ने बार-बार सरकार से आग्रह किया कि हमारी अधिग्रहण की गई भूमि का अनुग्रह अनुदान राशि और अन्य संपत्तियों का भुगतान हमें कर दिया जाए, जिन संपत्तियों का अधिग्रहण किया जाना शेष है उन संपत्तियों का भुगतान हमें आज की दरों में कर दिया जाएं लेकिन ना जाने क्यों भुगतान नहीं किया जा रहा है इसके कारण क्षेत्र में असंतोष व्याप्त है। चौहान ने बताया कि सन 2013 के अनुसार विस्थापित परिवारों को आधार मानकर लखवाड़ बांध के प्रभावित एससी/ एसटी के लोगों को मुआवजा दिया जाना प्रस्तावित है इस पर समस्त बांध प्रभावित परिवार के लोग बहुत नाराज हैं उन्होंने मांग की पारिवारिक इकाइयां प्रतिवर्ष बनती रहती हैं जो सतत प्रक्रिया है जो समय-समय पर परिवार रजिस्टर में अंकित भी होते रहते हैं,अत: ग्राम पंचायत के परिवार रजिस्टर में अंकित परिवारों की वैधानिक गणना होनी चाहिए क्योंकि परिवार रजिस्टर एक वैधानिक दस्तावेज है इसी के आधार पर सरकारी योजनाओं में लाभार्थियों का चयन एवं सरकारी योजनाओं का संचालन होता है। उन्होंने सरकार से यह भी मांग की है कि अनुग्रह -अनुदान एवं परिसंपत्तियों के मुआवजे का निर्धारण आज के प्रचलित रेट के अनुसार किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी मांग रखी है कि अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में जमीनों की खरीद-फरोख्त नहीं होती है इसलिए यहां के सर्किल रेट बहुत कम है इसलिए इसी परियोजना क्षेत्र के टिहरी गढ़वाल क्षेत्र के लोगों की जो भूमि अधिग्रहण की जाएगी या की जा चुकी है उन्हें जो अधिकतम दरें इस परियोजना में मुवावजे की दी जा चुकी है या दी जाएगी उसको ही आधार मानकर जनजाति क्षेत्र के किसानों को भी वही दरे लागू करके दी जाए। पूर्व सैनिक भगत सिंह रावत ग्राम धनपौऊ ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सन 1982 -83मे कुछ किसानों को भूमि का कंपनसेशन तो दे दिया गया था परंतु उस पर बने पशुशाला और नहरों का तथा अन्य संपत्तियों का जिनका अधिग्रहण कर लिया गया था आज तक उनका पैसा नहीं दिया गया। उस समय यह बताया गया कि पैसा अभी खत्म हो गया है।
गुमान सिंह तोमर ग्राम लक्सयार ने मांग रखी कि वर्ग 4 की भूमि का मुआवजा भुगतान किया जाए तथा जिन काश्तकारों के आधे खेत का अधिग्रहण कर लिया गया है उनका पूरा खेत लिया जाना चाहिए क्योंकि अब अवशेष आधा खेत उनके किसी काम का नहीं है। इसी प्रकार मायादत्त उनियाल ने समिति के माध्यम से सरकार से मांग की है कि अनुग्रह अनुदान सहायता राशि जो 75 हजार हेक्टेयर सन 2013 में तय की गई थी और उसका आज तक हमें भुगतान नहीं हुआ उसको सरकार को पुनरीक्षित किया जाना चाहिए। बांध प्रभावित किसान संदीप तोमर ने मांग की है कि कृषि मजदूरी को पूर्व में अधिग्रहित भूमि एवं वर्तमान में अधिग्रहण की जाने वाली भूमि में एक समान रखा जाए कृषि मजदूरी के भुगतान की दरों को वर्तमान के अनुसार पुनरीक्षित किया जाना आवश्यक है। पूर्व अध्यापक एवं समिति के वरिष्ठ नेता खजान सिंह तोमर ने लखवाड़ परियोजना के तृतीय श्रेणी एवं चतुर्थ श्रेणी के शेष पदों पर परियोजना के भूमि प्रभावित परिवारों के योग्य व्यक्तियों से शीघ्र भरने एवं डिग्रीधारक बीटेक युवाओं को तथा परियोजना प्रभावित युवाओं को भी रोजगार के अवसर प्रदान करने की मांग की है।
समिति के मंत्री श्री संदीप ने मांग की है कि लखवाड़ परियोजना में अब जो भी वाहन अब अनुबंध लगाए जाएंगे वह बांध परियोजना के प्रभावितों की ही होने चाहिए, तथा समिति के देखरेख में एक उप समिति का गठन किया जाना चाहिए जो परियोजना अधिकारियों के द्वारा जो भी निर्णय लिए जाएं उस पर अपना पूरा फोकस रखें और परियोजना में होने वाले कार्यों की सीमा 50 हजार से बढ़ा करके 20 लाख रुपए किए जाने की मांग की।
आज की इस महापंचायत में कुल मिलाकर के अधिकतर एससी एसटी समिति के किसानों का कहना था कि 30 -40 साल से सरकार ने हमारी जमीने ले रखी है और उस पर निर्माण नहीं हो रहा है तो हमारा क्या कसूर है अधिकतर का कहना यह था कि जो जमीन अधिग्रहण की है उसे हमें वापस कर दिया जाए और कानून के मुताबिक सरकार परियोजना बनाने में असफल रही है।
अंत में उपस्थित बांध प्रभावित समिति के किसानों को संबोधित करते हुए समिति के अध्यक्ष ने सब को आश्वस्त किया कि उनकी मांगे सरकार तक पहुंचाई जाएंगी और परिसंपत्तियों के मामले में शीघ्र से शीघ्र निर्णय हो इसके लिए जनपद टिहरी और जनपद देहरादून मे लखवाड़ परियोजना के पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना से संबंधित विभिन्न कार्यों हेतु दोनों जनपदों में एक अपर जिलाधिकारी स्तर का पुनर्वास अधिकारी नियुक्त किए जाने का तथा स्वतंत्र पुनर्वास कार्यकारिणी का गठन किए जाने की मांग भी वह सरकार से करेंगे तथा इसके साथ-साथ अनुग्रह अनुदान राशि जो 75 हजार हेक्टेयर सरकार ने सन 2013 मे निर्धारित की थी आज इतने साल बीत जाने के बाद इस राशि को पुनरीक्षित किया जाना चाहिए , इसके साथ-साथ उन्होंने काश्तकारों के परिवारों की गणना वर्ष 2022 को आधार पंचायत रजिस्टर के आधार पर करवाने की भी बात कही।
उन्होंने इस बात पर भी हैरानी प्रकट की कि हल्द्वानी से माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा लखवाड़ बांध की घोषणा को भी ना जाने क्यों पूरा नहीं किया जा रहा है लखवाड़ बांध की निविदा प्राप्त करने की तारीख कई बार बढ़ा दी जा चुकी है अब इस तारीख को 17 बार भी बढ़ा दिया गया है जो हमारी समझ से बाहर है, इस संबंध में एमडी उत्तराखंड जल विद्युत निगम को मेरे द्वारा ईमेल और रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजकर के कारण जानना चाहा है कि यह ऐसा क्यों किया जा रहा है आज 2 सप्ताह व्यतीत हो जाने के बाद भी उनके द्वारा इस संबंध में कोई जवाब नहीं दिया गया जो बांध विस्थापितों के साथ एक धोखा है।
उन्होंने उपस्थित समस्त एसटी/एससी काश्तकारों को विश्वास दिलाया कि वह सरकार से मांग करेंगे कि डैम निर्माण कार्य सरकार जब भी करें हमें कोई एतराज नहीं परंतु प्रभावित विस्थापित परिवारों को उनकी भूमि और परिसंपत्तियों, वृक्षों, गुल नेहरों, पशुशाला, आदि जो भी संपत्तियां परियोजना में है उनका भुगतान आज के बाजारी भाव पर सरकार को कर देना चाहिए ऐसा वह प्रयास करेंगे अंत में उन्होंने उपस्थित समस्त बांध प्रभावित किसानों का धन्यवाद दिया और शीघ्र एक बैठक करके समिति द्वारा जो भी कार्रवाई की जाएगी उससे सभी को समय-समय परअवगत करवाया जाएगा।
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