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भद्राज देवता का भव्य मेला आयोजित, हजारो ने भगवान बलराम के दर्शन किए।

भद्राज देवता का भव्य मेला आयोजित, हजारो ने भगवान बलराम के दर्शन किए।

मसूरी। नगर पालिका क्षेत्र में मुख्य शहर से करीब 10 किमी की दूरी पर भद्राज देवता का पौराणिक मंदिर है, जिसमें भाद्रपद की संक्राति पर मेला आयोजित किया गया जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर में जाकर भगवान बलराम के दर्शन किए व उनकी प्रतिमा पर दूध, दही, घी सहित रोट प्रसाद चढा कर अपने परिवार की खुशहाली की कामना की वहीं पशु धन की सुरक्षा की भी कामना की।


पहाड़ों की रानी मसूरी सीमा के अंतर्गत मसूरी से करीब दस किमी दूर भद्राज देवता का पौराणिक मंदिर है कहा जाता है कि भगवान कृष्ण व बलराम गौ रक्षा को लेकर भ्रमण पर थे तो वे यहां भी आये भगवान कृष्ण ने नाग देवता मंदिर क्यारकुली व बलराम ने भद्राज में गौ पालकों को गौवंश की रक्षा व उनके पालने का उपदेश दिए थे। इसलिए भद्राज देवता को पशुधन का रक्षक देवता माना जाता है। जिसके कारण मसूरी व उसके आस पास के देहरादून से लगे क्षेत्र, जौनपुर, जौनसार क्षेत्र के ग्रामीणों के साथ ही सहारनपुर के गुर्जर समुदाय के पशु पालकों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। प्रतिवर्ष भाद्रपद की संक्राति पर भद्राज देवता का मेला लगता है जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है। मेला 16 व 17 अगस्त को लगता है जिसमें भगवान बलराम की विशेष पूजा अर्चना होती है व मुख्य मेला 17 अगस्त को होता है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। भद्राज मंदिर करीब सात हजार फीट की उंचाई पर स्थित है जो प्राकृतिक सौदर्य से भरपूर है यहंा आकर आत्मिक शांति का अनुभव होता है व चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य देख श्रद्धालु अभीभूत हो जाते है, एक ओर हिमालय का विंहंगत दृश्य व यमुना घाटी व दूसरी ओर दून घाटी का विहंगम दृश्य व मसूरी दिखाई देती है। मेले में ग्रामीण पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ आते हैं व सुबह भगवान बलराम का स्नान व श्रृंगार किया जाता है उसके बाद यहां पर देवता अवतरित होते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में यहंा राक्षसों का उत्पात होता थाजिससे रक्षा के लिए भगवान बलराम ने उनका नाश किया इन्हंे पशु रक्षक देवता भी माना जाता है कहा जाता है कि इस क्षेत्र में जब भी कोई गाय सा भेस ब्याती है तो पहला दूध, घी या दही आदि चढाई जाती है जो ऐसा नहीं करता उनके उनके दूध या उसके उत्पाद खराब हो जाता है। मेले में लोक गायिका रेशमा शाह व अज्जू तोमर ने अपने गीतो से जनता को झूमने पर मजबूर किया। इस मौके पर मेला समिति के अध्यक्ष राजेश नौटियाल ने कहा कि भगवान भद्राज मेला हर वर्ष आयोजित किया जाता है। भद्राज पशुधन के रक्षक है इसलिए यहां पर गौशाला बनाने का निर्णय लिया है वहीं समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वाले आठ लोगों को सम्मानित किया गया है। उन्हांेने कहा कि आने वाले समय में दूधली मसूरी व विकास नगर की ओर से सड़क बने ताकि लोगों को परेशानी न हो। उन्होने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया जिन्हांेने इसे मेले को राजकीय मेला घोषित किया है। इस मौके पर पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला ने भद्राज देवता को नमन करते हुए अपनी कृपा सभी पर बनाये रखे। उन्होंने कहाकि समिति के प्रयास से मदिर बनाया गया व्यवस्था में सुधार की बात कही। उन्होंने विधायक, मंत्री व मुख्यमंत्री से मांग की कि मंदिर जाने वाले मार्ग को बनाने की मांग की व जो स्थान संकरे है वहां पर पुलिस ऐसे स्थानों को चिन्हित करते ताकि लोगों को परेशानी न हो। भद्राज मंदिर के पुजारी खुशी राम मैठानी ने कहा कि भगवान कृष्ण व बलराम शांति की तलाश में देवभूमि में आये व बलराम ने यहां पर अपना स्थान बनाया। बलराम पशु रक्षा के देवता है इस लिए दूध के उत्पाद यहां पर चढाये जाते हैं जिसमें दूध, माखन, घी, शिरडी सहित रोट व प्रसाद चढाते हैं। इस मौके पर विश्व शांति के लिए दुआ की गई व सभी की कुशलता की कामना की। इस मौके पर पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, बलबीर चौहान, अनीता सक्सेना, रजत अग्रवाल, जगजीत कुकरेजा, शिव अरोड़ा, नागेद्र उनियाल, देवी गोदियाल, राजेश सजवाण, अनूप थपलियाल, सहित बड़ी संख्या मंे लोग मौजूद रहे।

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