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निरंकार प्रभु के दर्शन ही मोक्ष की सीढी है, सन्त राजीव बिजल्वाण

संवादता डॉ अजय कंबोज

निराकार प्रभु के दर्शन ही मोक्ष की सीढ़ी है- सन्त बिजल्वाण
देहरादून, 1 जुलाई — संसार की जितनी भी आध्यात्मिक प्रक्रियाएं हैं उन सबकी एक ही मंजिल है – ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति। प्रभु परमात्मा और एक मालिक को जानने के लिए सतगुरु की आवश्यकता होती है । जो इस रमे राम प्रभु परमात्मा अकाल पुरुख के दर्शन करवा दे।

उक्त विचार आज सन्त निरंकारी मंडल द्वारा ज़ूम पर चलाई जा रही वर्चुअल विचार गोष्ठी में *सत्य,प्रेम व एकत्व* विषय पर व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सभी वरणों का मालिक एक है, निराकार परमात्मा, इस सत्य परमात्मा को सबने जानना है, यही मोक्ष की सीढ़ी है। प्रेम की शुरुआत गुरु के आगे पूर्ण समर्पण से होती है और इसके फल स्वरूप भक्त को जीवन मे मन वांछित फल की प्राप्ति होती है।

 

उन्होंने कहा यह निराकार ही सर्व शक्तिमान है जिसको हम जन्मों से पाने की चाहत रखते हैं। प्रभु परमात्मा के दर्शन करने के बाद सेवा,सिमरन सत्संग ही प्रभु के साथ एकाकार होने का रास्ता है।

एकत्व पर बोलते हुए सन्त बिजल्वाण जी ने कहा कि प्रभु साक्षात्कार के बाद परमात्मा को कण-कण में निहारना ही ईश्वर की पूजा है। इस मौके पर उन्होंने पिछले दिनों कोरोना के कारण शरीर छोड़ गए सन्तो को भी याद किया। वर्चुअल गोष्टी में मंसूरी ज़ोन सहित देश विदेश से हजारो की संख्या में जुड़े प्रभु प्रेमियों ने प्रवचनों का रसपान किया।

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