देहरादून–हमे सतगुरु की बताई गई विधि द्वारा ही प्रभु परमात्मा की पूजा करनी है, भक्ति का आधार प्रेम है। ज्ञान श्रद्धा से प्राप्त होता है । जब तक इंसान को अंग संग निरंकार परमात्मा का ज्ञान प्राप्त नहीं होता तब तक वह पिछले जन्मों के कर्म फल ही भोगता है।
उक्त विचार निरंकारी प्रचारक महात्मा श्री जस राम थपलियाल जी ने निरंकारी मिशन द्वारा ज़ूम एप्प पर चलाई जा रही वर्चुअल विचार गोष्ठी में व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि भक्ति परमात्मा का साक्षात्कार करने के बाद ही शुरू होती है, सतगुरु द्वारा प्रदत्त ज्ञान मन मे बिठा लेने के बाद प्रभु निरंकार के साथ एकाकार हो जाना स्वयं को शरीर न समझ केवल आत्मा समझ कर उसमें विलीन हो जाना भक्ति की पराकाष्ठा है।
उन्होंने आगे कहा ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण ही जीवन मे आनन्द का रास्ता है। सन्त थपलियाल जी ने नाना प्रकार के उदाहरणों द्वारा इस कण – कण वासी राम की व्याख्या कर उपस्थित वर्चुअल श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। गोष्ठी में जुड़े निरंकारी भक्तो द्वारा गीत, कविताओं और विचारों द्वारा अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। आपके प्रवचनों का देश विदेश से जुड़े हजारों प्रभु प्रेमियों ने आनन्द उठाया।