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मसूरी। विश्व कैंसर दिवस पर डा. सुजाता संजय ने किशोरियों को सावाइकल कैंसर के प्रति जागरूक।

मसूरी। विश्व कैंसर दिवस पर डा. सुजाता संजय ने किशोरियों को सावाइकल कैंसर के प्रति जागरूक।

मसूरी। हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि आम लोगों को कैंसर के खतरों के बारे में जागरूक और इसके लक्षणों से लेकर जानकारी दी जा सके। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर संजय ऑर्थाेपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंन्टर, जाखन देहरादून की वीमेन्स अचीवर्स ऑफ इंडिया से सम्मानित डॉ. सुजाता संजय स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, ने सरवाइकल कैंसर के ऊपर एक बेबीनार द्वारा जन जागरूकता व्याख्यान दिया जिसमें 80 से अधिक महिलाओं एवं किशोरियों ने भाग लिया।
संजय मैटरनिटी सेंटर की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता संजय ने किशोरियों को सरवाइकल कैंसर के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि, शरीर के किसी भी भाग की कोशिका का असामान्य विकास कैंसर है। शरीर के किसी भी भाग में लम्बे समय तक सूजन, जख्म और रसौली का होना कैंसर हो सकता है। भारत में 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार सरवाइकल कैंसर के 3.4 लाख से अधिक ममहिलाऐं प्रभावित हैं। ऐसा अनुमान है कि प्रतिवर्ष 9 से 27 प्रतिशत भारतीय महिलाऐं सरवाईकल कैंसर से पीड़ित होती है। सरवाइकल कैंसर के सर्वाधिक मामले 15-44 आयु वर्ग की स्त्रियों में देखने को मिल रहा है। डॉ. सुजाता संजय ने बताया कि सरवाइकल कैंसर ह्रयूमन पेपिलोमा वाइरस एच.पी.वी. से सरविक्स में संक्रमण के कारण होता है। यह वाइरस अधिकतर यौन सक्रिय महिलाओं को उनके जीवन के प्रजनन चरण के दौरान संक्रमित करता है। अच्छी जनंनाग स्वच्छता तथा शरीर की आत्म रक्षा प्रणाली के कारण अधिकांश महिलाओं में स्पष्ट लक्षण उभर कर नहीं आते तथा शरीर दबा रहता है। यद्यपि 3-10 प्रतिशत महिलाएं जो बार-बार लगातार एच.पी.वी. संक्रमण से प्रभावित रहती है वह अंत में सरवाइकल कैंसर का शिकार होती है। प्रारम्भिक स्तर पर कैंसर पूर्वद्ध बहुत से कैंसरों के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते। अतः बहुत सी महिलाएं सोचती है कि वह सुरक्षित है। परन्तु, सावाइकल कैंसर भारतीय महिलाओं को होने वाले कैंसरों में सर्वाधिक पाया जाने वाला रूप है। सवाइकल कैंसर के प्रारम्भिक स्तर से पीडित सभी महिलाएं पूर्णतः स्वस्थ हो सकती हैं परंतु यदि कैंसर, कोशिकाओं व अन्य ऊतकों में भी फैल चुका है तो इलाज कठिन हो जाता है। इसलिए शीध्र तथा नियमित स्क्रिींनिंग बहुत महत्तवपूर्ण है। डॉ. संजाता संजय ने सरवाइकल कैंसर के होने के कारण बताये जैसेः-छोटी उम्र में शादी होना या संभोग करना, छोटी उम्र में गर्भधारण या अधिक बच्चे पैदा करना, पति या पत्नी का एक-दूसरे के अतिरिक्त और लोगों से भी यौन सम्बन्ध होना, धूम्रपान या तम्बाकू खाना, बच्चेदानी के मुंह पर मस्से होना, स्वास्थ्य शिक्षा और सफाई का अभाव, आर्थिक स्थिति का निम्न स्तर। डॉ. सुजाता संजय ने सरवाइकल कैंसर होने के लक्षण बताये जैसेः-प्रारम्भिक स्थिति में महिला को किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती और न ही कोई लक्षण दिखाई देते है। जैसे-जैसे रोग बढ़ता है निम्नांकित शिकायतें हो सकती है। जैसे सफेद पानी या खून मिला पानी लम्बे समय तक आना, संभोग के बाद खून आना, मासिक-धर्म की अमियमिता, जैसे-रूककर आना तथा बीच-बीच में खून के धब्बे दिखाई देना, मस्सा या तिल में कोई परिवर्तन, खांसी या लगातार रूखापन, मल विसर्जन की सामान्य प्रक्रिया में जल्दी-जल्दी परिवर्तन एवं मुँह के अन्दर कोई सफेद दाग आदि। डॉ. सुजाता संजय ने बताया कि बच्चेदानी के मुॅह के कैंसर का प्रारम्भिक अवस्था में निदान एवं उपचार संभव है जिसके लिए पैप टैस्ट, एच.पी.वी. टीकाकरण व कॉल्पोस्कोप मशीन द्वारा जननांगों की जांच करवानी चाहिए। डॉ. सुजाता संजय ने बताया इस तरह के कार्यक्रमों का उद्देश्य समाज को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है जिससे स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके।

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