आईडीएच में भालू की धमक से लोगों में भय व्याप्त। विरोध में धरना दिया।

आईडीएच में भालू की धमक से लोगों में भय व्याप्त। विरोध में धरना दिया।
मसूरी। आईडीएच स्थित गौशाला में निवास कर रही मजदूर महिलाओं की रसोई तक भालू के घुस आने की दहशत पर सुरिक्षत आवास की मॉग को लेकर कल रात से धरने पर बैठी महिलाओं ने उपजिलाधिकारी के आश्वासन पर धरना समाप्त कर दिया। उपजिलाधिकारी ने कल मसूरी पॅहुचकर व्यवस्थाएं दुरस्त करने की बात कही है ।
किताबघर शिफनकोर्ट से बेघर किए गये मजदूरों को आईडीएच स्थित गौशाला में कुछ लोगों को रखा गया है। जहां वह न बिजली न पानी है न ही शौचालय हैं। जबकि मसूरी में लगातार ठंड बढ़ गई है जिसके कारण अब जंगली जानवरों का खतरा भी पैदा हो गया है। जबकि उक्त गौशाले के जंगल व कूड़ेघर के निकट होनें के कारण वहॉ पर खुंखार जंगली जानवरों जिनमें बाघ, भालू व सांप का डर हर समय बना रहता है। इसी कड़ी में 1 जनवरी की सांय लगभग 8 बजे की है जब लंढ़ौर टिहरी बायपास रोड़ पर आई0 डी0 एच0 बिल्डिंग के पास कूड़ाघर के नीचे हवाघर टाइप इन गौशाला में शरण लिए मजदूर महिलाओं की रसोई तक एक भालू घुस आया उसने वहॉ बड़ा उद्धम मचाया।
लोगों ने किसी तरह टिन आदि के नीचे छुपकर जान बचायी। गनीमत यह रही कि कोई जान माल का नुकशान नहीं हुआ। सूचना पर वन विभाग के रेंज अधिकारी एस पी भट्ट दल बल के साथ वहॉ पॅहुचे, उन्होने भालू को खोजने का प्रयास किया मगर तब तक भालू दूर भाग चुका था। जबकि रात भर वहॉ धरने पर बैठे लोगों को कहना था कि भालू भी रात भर वहीं गौशाला के आसपास कूड़े के ढ़ेर में घूमता देखा गया। इस घटना से महिलाएं बहुत डर गई तथा रोती रही, उनमें भारी दहशत भर गई है तथ अब वे वहॉ बिल्कुल भी रहना नहीं चाहती हैं।
इस घटना पर शिफनकोर्ट आवासहीन निर्बल मजदूर वर्ग एवं अनुसूचित जाति संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टम्टा और महामंत्री राजेन्द्र सेमवाल सूचना मिलने पर रात ही घटना स्थल पर पॅहुच गए तथा इस घटना के लिए मसूरी नगर पालिका, नगर प्रशासन तथा विधायक को दोषी ठहराते हुए वहीं धरने पर बैठ गए। समिति अध्यक्ष टम्टा का कहना था कि अगर इन बेसहारा मजदूरों के लिए आवास की व्यवस्था कर दी गई होती तो आज ये लोग जंगल में गौशाला में रूकने को मजबूर न होते और न यह घटना घटती। उन्होंने उपजिलाधिकारी को ज्ञापन भेजकर प्रभावित लोगों के लिए सुरिक्षत आवास की व्यवस्था न होने तक वहीं धरने पर बैठे रहने की घोषणा की। ज्ञापन में मॉग की गई है कि शिफनकोर्ट से हटाए गए लोगों के आवास बनने तक उन्हें नगर पालिका की मैसानिक लॉज पार्किंग में बने कमरों में शिफ्ट कर दिया जाय। समिति के महामंत्री राजेन्द्र सेमवाल ने कहा कि अब खौप के कारण न तो ये बेसहारा महिलाएं यहॉ रह पाएंगी और न उन्हें मौत के सामने ऐसा छोड़ा जा सकता है। ज्ञापन में उपजिलाधिकारी से भालू वाली घटना को आपदा प्रबन्धन के रूप में लेते हुए मौके पर पॅहुचकर हालात देखने का अनुरोध किया गया है। धरना स्थल से उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी प्रदीप भण्डारी की उपजिलाधिकारी नरेश दुर्गापाल से मोबाइल पर वार्ता हुई। भण्डारी ने उपजिलाधिकारी को सारी स्थिति से अवगत कराया। जिस पर उपजिलाधिकारी नरेश दुर्गापाल ने मौके पर जाकर समस्या के हल का समाधान ढूडने का तथा मौका मुवायना करने का आश्वासन दिया, जिस पर धरना स्थगित कर दिया गया। भालू को देखने वालों में भादी देवी, सुषमा देवी व सपना हैं। जबकि धरने पर बैठने वालों में संजय टम्टा, राजेन्द्र सेमवाल, काथगी देवी, मीरा देवी, मीना देवी, आशा देवी, मंगशीरी देवी, मीना टम्टा, संतोषी देवी, सुलोचना देवी, अजय कुमार, धनी लाल, सम्पत्ति लाल, जगदीश लाल, भोपाल सिंह, लखी लाल तथा भादी देवी, सुषमा देवी, सपना व बच्चे शामिल रहे।