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संत राजिन्दर सिंह महाराज की यात्रा बहुत उत्साहवर्धक रही श्रदालुओं ने उनके द्वारा दिए गये प्रवचन सुनकर उठाया लाभ।

संत राजिन्दर सिंह महाराज की
यात्रा बहुत उत्साहवर्धक रही
श्रदालुओं ने उनके द्वारा दिए गये प्रवचन सुनकर उठाया लाभ।
देहरादून : सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख संत राजिन्दर सिंह जी महाराज का दो दिन की देहरादून यात्रा बहुत ही उत्साहवर्धक और खुशी से भरपूर रही।

विश्व-विख्यात आध्यात्मिक गुरु संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने मानव केन्द्र की पवित्र धरती पर आध्यात्मिक सत्संग व नामदान की दात दी।
फरवरी 2015 के बाद दो दिन के इस सत्संग कार्यक्रम में हजारों की संख्या में आए भाई-बहनों ने संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के दर्शनों से लाभ प्राप्त किया।
कार्यक्रम के दूसरे दिन 28 सितंबर, 2023 को मानव केन्द्र में सत्संग से पहले उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जी ने महाराज का फूलों के बुके देकर स्वागत किया,और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
28 सितंबर को संत राजिन्दर सिंह महाराज ने संत कबीर साहब की वाणी की व्याख्या करते हुए आत्मा को जागृत करने के बारे में बताया।
कार्यक्रम की शुरुआत पूजनीय माता रीटा द्वारा संत कबीर साहब की दिल को छू जाने वाली वाणी से गाए गए ”जाग प्यारी अब का सोवे (हे इंसान तु जाग, अभी तक क्यों सोया हुआ है।) शब्द से हुई। उसके पश्चात संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने अपनी दिव्यवाणी में समझाया कि हमें अपने जीवन के परम ध्येय अपने आपको जानना और पिता-परमेश्वर को पाने के लिए अंदर से जागृत होना होगा।
एक इंसान होने के नाते हम अपने जीवन का अधिकतर समय और प्रयास इस दुनिया की बाहरी गतिविधियों में ही खर्च कर देते हैं। मन-इद्रियां के घाट पर जीते हुए हम यह विश्वास करते हैं कि इस भौतिक दुनिया और उसके कार्य ही हमारे जीवन में सब कुछ हैं लेकिन वास्तविकता में हम एक आत्मा हैं जो पिता-परमेश्वर के प्रेम और प्रकाश से भरपूर है। आगे महाराज ने कहा कि संत कबीर साहब हमें समझा रहे हैं कि हम अपने मूल स्वरूप जोकि आत्मा को पहचानें और जागृत अवस्था को प्राप्त करें।
संत राजिन्दर सिंह महाराज ने फ़रमाया कि इस समय हम सब एक गहरी नींद में सोय हुए हैं। हमारी आत्मा पर मन,माया और भ्रम से घिरी हुई है और अपने भीतर छुपे हुए खजानों से अनजान है। संत कबीर साहब जी हमें समझा रहे हैं कि हे आत्मा तु इस गहरी नींद से जाग और अपना समय पिता-परमेश्वर की प्यार भरी मीठी याद में व्यतीत कर। पिता-परमेश्वर ने हमें इस धरती पर अपने जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भेजा है लेकिन हम अपने लक्ष्य को भूल चुके हैं। हम इस गहरी नींद से कैसे जाग सकते हैं? जब हम एक पूर्ण सत्गुरु से नामदान की दीक्षा प्राप्त करके अपना समय ध्यान-अभ्यास में देते हैं तो हमारी आत्मा पिता-परमेश्वर की ज्योति और श्रुति का अनुभव करती है। जब हमें यह अनुभव होता है तो हमारी आत्मा खिल उठती है और जागृत अवस्था में पहुंच जाती है। हमें अपने ध्यान को अंतर्मुख कर ज्यादा से ज्यादा समय ध्यान-अभ्यास में देना होगा। हमारे अंदर प्रेम, शांति और सौंदर्य के दिव्य खजानें छुपे हुए हैं, जिन्हें हम पवित्र नाम और शब्द के साथ जुड़ प्राप्त कर सकते हैं। जब हम ऐसा करते हैं तो हम धीरे-धीरे अपने जीवन के लक्ष्य की ओर बढ़ने लग जाते हैं।
सत्संग के पश्चात संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने हजारों की संख्या में उपस्थित भाई-बहनों को अपनी दयामेहर कर नामदान की अमूल्य दात दी। उन्होंने नामदान के समय लोगों को प्रभु की ज्योति व श्रुति की दो बैठकों में बिठाया तथा उनके बीच जाकर उन्हें अपना आशीर्वाद दिया।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के सत्संग कार्यक्रम में सिर्फ देहरादून से ही नहीं बल्कि भारत के विभिन्न राज्यों के हजारों लोगों के अलावा विदेशों से आए भाई-बहनों ने भी भाग लिया।
संत राजिन्दर सिंह महाराज गैर-लाभकारी संगठन सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख हैं, जिसे पूरे विश्व में आध्यात्मिक विज्ञान के रूप में भी जाना जाता है। संत राजिन्दर सिंह महाराज का जीवन और कार्य लोगों को मनुष्य जीवन के मुख्य उद्देश्य को खोजने में मदद करने के लिए प्रेम और निःस्वार्थ सेवा की एक लगातार चलने वाली यात्रा के रूप में देखा जा सकता है। पिछले 34 वर्षों से उन्होंने जीवन के सभी क्षेत्र के लाखों लोगों को ध्यान-अभ्यास की विधि सिखाकर उन्हें उनके वास्तविक स्वरूप यानि आत्मिक रूप से जुड़ने में मदद की है। उनका संदेश आशा, प्रेम, मानव एकता और निःस्वार्स्थ सेवा का संदेश है।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ध्यान-अभ्यास की एक सरल विधि सिखाने के लिए पूरी दुनिया में यात्रा करते हैं, जिसका अभ्यास स्त्री हो या पुरुष, बीमार हो या स्वस्थ, चाहे वह किसी भी उम्र, धर्म व जाति का हो, कर सकता है। इस विधि को ‘सुरत शब्द योग’ या ‘प्रभु की ज्योति और श्रुति का मार्ग’ भी कहा जाता है।
उन्हें ध्यान-अभ्यास पर आधारित सेमिनारों और पुस्तकों के माध्यम से लाखों लोगां को ध्यान-अभ्यास सिखाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। उनकी प्रमुख पुस्तकें ‘डिटॉक्स द माइंड,‘मेडिटेशन एज़ मेडिकेशन फॉर द सोल’ और ‘ध्यान-अभ्यास के द्वारा आंतरिक और बाहरी शांति’ प्रमुख हैं। उनकी कई डीवीडी,ऑडियो बुक और आर्टिकल्स, टीवी, रेडियो और इंटरनेट पर उपलब्ध हैं।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को विभिन्न देशों द्वारा अनेक शांति पुरस्कारों व सम्मानों के साथ-साथ पाँच डॉक्टरेट की उपाधियों से भी सम्मानित किया जा चुका है।
सावन कृपाल रूहानी मिशन के संपूर्ण विश्व में 3200 से अधिक केन्द्र स्थापित हैं तथा मिशन का साहित्य विश्व की 55 से अधिक भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है। इसका मुख्यालय विजय नगर, दिल्ली में है तथा अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय नेपरविले, अमेरिका में स्थित है।

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