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कोणेश्वर महादेव की पालकी का ग्रामीणों ने पूजा अर्चना के साथ स्वागत किया।

रिपोर्ट सुमित कुमार कंसल

कोणेश्वर महादेव की पालकी का ग्रामीणों ने पूजा अर्चना के साथ स्वागत किया।

मसूरी। देवों के देव् कोणेश्वर महादेव की पालकी का ग्रामीणों ने हर्षाेल्लास के के साथ स्वागत किया व पूजा अर्चना के साथ ही पालकी के दर्शन कर परिवार की खुशहाली की कामना की।
जौनपुर विकासखण्ड के अधिकांश क्षेत्रों में बैसाखी के शुभारम्भ से अपने अपने कुल देवताओं की पालकी का आना शुरू हो चुका है, कहीं नाग देवता तो कहीं ऋषिकेश देवता की पालकी का थौल मेला मनाने की पौराणिक प्रथा है।

इसी मान्यताओं में देवों के देव् कोणेश्वर महादेव की पालकी पौराणिक थान देवलसारी से ग्राम ठिक्क, तेवा, होते हुये अपने मौलिक गांव बंगसील पहुंची, जहां पर ग्रामीणों ने पालकी का भव्य स्वागत किया। दोपहर के समय मुख्य पुजारी विजय गौड़ ने समस्त ग्रामीणों की मौजूदगी में विभिन्न पकवानों का भोग लगाकर पूजा अर्चना की व तदोपरांत मंदिर के गर्भ गृह से भगवान महादेव की पालकी को वाद्य यंत्रों की थाप पर मनाण चौक में दर्शन के लिये लाई गई। ग्रामीणों ने कोणेश्वर महादेव की पालकी को झुककर शीश नवाकर आशीर्वाद लिया। पूरे दिन ग्रामीणों ने पालकी को कंधों व सिर में उठाकर जमकर नचाया, गाँव के लम्बरदार, सयाणा गोबिंद सिंह राणा, पूर्ब प्रधान गुड्डी देवी ,प्रेम सिंह, गजे सिंह, मिजान सिंह, दिलमणी, घनश्याम गौड़, चंद्रर सिंह रावत, सूर्यमणी गौड़, शुरबीर सिंह, जगमोहन, सरत सिंह पंवार, जगत सिंह, महिपाल आदि ग्रामीणों ने बताया कि बंगसील देवलसारी मंदिर जौनपुर विकासखण्ड के अंदर एक मात्र ऐसा मंन्दिर है जहां देवों के देव् महादेव विराज मान है। ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में पौराणिक विधाओं के मुताविक भगवान के अन्य कई रूपों की पूजा की जाती है,लेकिन बंगसील देवलसारी स्थित मंदिर में साक्षात शिव के दर्शन होते है। साल में दो बार भगवान कोणेश्वर महादेव की पालकी दर्शनों के लिए गर्भगृह से बाहर निकाली जाती है।

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