उत्तराखंड की आवाज संगठन की विकासनगर में संगोष्ठी पर्वतीय राज्य की परिकल्पना 20 वर्षों में सिरे से गायब
UK/ विकासनगर
रिपोर्ट– पुलिस के द्वारा हिंदी पत्रिका संवादाता इलम सिंह चौहान
*विकासनगर के एक होटल में उत्तराखंड की आवाज संगठन बैनर तले दर्शन डोभाल की अध्यक्षता में प्रेस वार्ता*
जनपद देहरादून के पछवादून विकासनगर के फोर सीजन आर होटल में आज दिनांक 30.08.2020 को विकासनगर के फोर दर्शन डोभाल की अध्यक्षता मे उत्तराखंड की आवाज संगठन के बैनर तले उत्तराखंड में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार व शिक्षा सड़क एवं स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील मुद्दों को लेकर पत्रकार वार्ता एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुये उत्तराखंडं की आवाज के मुख्य संयोजक श्री रविन्द्र जुगराण, श्री अजय शर्मा, के अलावा एस सी एस टी संरक्षण मंच फाऊंडर व पूर्व डी आई जी श्री अनंत राम चौहान, छात्र नेता व वर्तमान बीडीसी ग्राम पंचायत कचटा श्री कुलदीप चौहान, छात्र नेता, सुल्तान सिंह शकनी, रिंकेष भट्ट ग्राम खनाड़, रितेष जोशी ग्राम मयपावटा, संदीप राणा ग्राम रड़ू आदि ने अपने अपने विचार व्यक्त करते हुए उत्तराखंड मे बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और शिक्षा, सड़क तथा स्वास्थ्य की लचर व्यवस्था पर चिंता जाहिर की।
उत्तराखंड की आवाज के मुख्य संयोजक श्री रविन्द्र जुगरान ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जीरो टोलरेंस वाली डबल इंजन की सरकार बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर आँख मूंदे हुए धृतराष्ट्र की भूमिका निभा रही है।उन्होंने अवगत कराया कि उत्तराखण्ड की अवाज़ संगंठन का गठन करने की आवश्यकता क्यो पडी और सगंठन का लक्ष्य व मिशन क्या होगा।
१. राज्य गठन उपरान्त जनता की आशाओ अकॉक्षाओ व गठन की मूल अवधारणा समाप्त हुई है व पर्वतिय राज्य की परिकल्पना 20 वर्षो मे सिरे से गयाब है ।
२. उत्तराखण्ड की विसम भौगोलिक परिस्थितियो के अनुरूप नियोजन निती निधारण नही हुआ देवभूमि के संस्कृतिक आध्यत्मिक महत्व की अनदेखी ।
३. राज्य की आर्थिकी को सुढृड करने के लिये योजनाओ का अभाव केवल आबकारी/ खनन पर ही निर्भरता ?
४. 20 वर्षो बाद भी सरकारी नौकरियॉ ही रोजगार का एक मात्र साधन !
५. सरकारी नौकरियो मे हजारो चोर दरवाजे से नियुक्तियॉ भाई भतिजावाद व भ्रष्टाचार चरम पर ?
६. पारम्परिक स्वारोगर के साधनो की घोर अपेक्षा जैसे पशुपालन वानिकी उध्यानकि व स्थानिय कुटीर उधोग आदि ।
७. पर्वतिय व मैदानी जनपदो के विकास एवं बजट आवॉन्टन मे भारी असंतुलन ।
८. 20वर्षो बाद भी परिसम्पत्तियो का बटवॉरा नही, टिहरी बॉध मे उत्तराखण्ड की हिस्सेदारी तय नही ।
९. शिक्षा / स्वस्थय जैसी मूलभूत सुविधाओ का बद से बत्तर होना ।
१०. अस्थाई राजधानी देहरादून समेत पुरे प्रदेश मे मानको के विपरित अवियोजित र्निमाण ।
११. महानगरो, नगरो व कष्बो को लिये कोई मास्टर प्लान नही ?
१२. हिमाचल की भॉति अन्य हिमालयी राज्यो की की तर्ज पर उत्तराखण्ड मे कोई सशक्त भू कानून ना होना और चकबन्दी का ना होना ।
१३. उत्तराखण्ड के लगभग १० पर्वतिय जनपदो की अनदेखी ।
१४. राज्य र्निमाण के उपरन्त हुये सैकडो घोटालो पर कोई ठोस दण्डात्मक कार्यवाही ना करना केवल चुनाव से पूर्व बयानबाजी तक सीमित रहना ।
१५. सरकारो की अव्यवारिक एवं गलत नितियो के कारण पर्वतिय क्षेत्रो से भारी पलायन नतिजन तराई मे इसका अत्याधिक भार पडना ।
१६. विधानासभाओ के परिसिमन पर पर्वतिय विधानासभाओ का कम होना ।
१७. २० वर्षो मे सिस्टम / तंत्र की कार्यशैली से भ्रष्टाचार को बढावा मिलना
नतिजन राज्य र्निमाण के एतिहासिक संघर्ष एवं 42 से भी अधिक शहादतो के उपरान्त राज्य की जनता आपने को ठागा सा महसुस कर रही है ।
उत्तराखण्ड की अवाज़ संगठन के सदस्यो ने कहा कि समान विचारधारा वाले संगठनो को साथ लेकर जानता को जागरूक व एकजुट करने की कोशिष करते हुये प्रखता मुखरता व निडरता से उत्तराखण्ड की अवाज़ बनने की कोशिष करेगे । और जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार, कमीशन खोरी के खिलाफ खड़े होकर जनहित के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं मे किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।