FeaturedNational NewsUttarakhand News

विकासनगर, विभाग को बदनाम करने के लिए परियोजना की सुरक्षा के साथ खिलवाड़

विभाग को बदनाम करने के लिए परियोजना की सुरक्षा के साथ खिलवाड़।
…………………………….एक बार फिर डाकपत्थर बैराज का ड्रामा सुर्खियों मे है।सोचा एक बार देखूं आखिर ये मामला है क्या। तो जो तथ्य और सच सामने आया उसे जनता भी जान ले ताकि गुमराह होने से बजा जाये।. दरअसल मामला 2019 में डाकपत्थर बैराज पर वर्ल्ड बैंक के एक कार्य से शुरू होता है I बैराज पर कार्य के लिए गलोबल टेंडर निकाला गया। जिसमें कई ठेकेदारों ने भाग लिया और अंत में पराग जैन नामक ठेकेदार को टेंडर मिल गया l. खेल यहीं से शुरू होता है जितने ठेकेदार इस टेंडर प्रक्रिया मे बहार हुए उनमें से एक ने अपनी खीझ मिटाने को विभाग के खिलाफ गलत अफवाह उठानी शुरू कर दी।. इस ठेकेदार ने टेंडर को लेने के लिए कुछ फर्जी दस्तावेज लगाकर टेंडर लेने की कोशिश भी की,परंतु विभाग की चेकिंग में पकड़ा गया। जिससे की वह इस प्रक्रिया मे भाग लेने से वंचित रह गया।. पकड मे आने के बाद उसने अधिशासी अभियंता को हर तरह का को प्रलोभन दिया परंतु अधिशासी अभियंता ने गलत काम करने से मना कर दिया।. इसके बाद वह ठेकेदार मामले को हाईकोर्ट ले गया l परन्तु कोर्ट ने कार्य के प्रोसेस मे कोई कमी नहीं पाई उल्टा जब विभाग ने ठेकेदार के फर्जी दस्तावेज कोर्ट में लगाए तो उस ठेकेदार ने घबराकर ब्लैक लिस्ट होने के डर से अपना केस वापस ले लिया l. तब से ही यह ठेकेदार अपनी खीझ निकालने के लिए यू जे वी एन लि तथा उनके कर्मचारियों को बदनाम करने के नीत नये प्रयास करता रहा है अब वर्तमान मे बैराज के डाउनस्ट्रीम में नए कार्यों के लिए दोबारा टेंडर निकले है तो इस ठेकेदार ने अपना पुराना खेल दोबारा शुरू कर दिया।. राहुल प्रियंका गांधी सेना द्धारा उठाए गए सवाल की पुराने काम को दुबारा कराया जा रहा है इसका भी RTI के माध्यम से निश्चित हो गया है कि वर्तमान टेंडर के काम पुराने टेंडर के काम से अलग है। जिसकी मंजूरी वर्ल्ड बैंक तथा cwc से भी मिल चुकी है।. दरअसल बात यह है की वर्ल्ड बैंक के कार्य करने का एक तरीका होता है सबसे पहले वर्ल्ड बैंक की टीम यह चेक करती है कि कौन सा कार्य होना है l उसके बाद वर्ल्ड बैंक की टीम द्वारा बनाए गए टेंडर डॉक्युमेंट, जिसमें वर्ल्ड बैंक की सारी शर्ते लिखी होती है उसी के आधार पर टेंडर निकाला जाता है हर एक बात वर्ल्ड बैंक की टीम से शेयर की जाती है और उसकी परमिशन ली जाती है इसलिए टेंडर प्रोसेस में यूजेवीएन लिo विभाग का कोई बड़ा रोल नजर नहीं आता है। टेंडर की शर्तें जो पूरी करेगा विभाग टेंडर उसी को दे देता है। इस प्रक्रिया मे लगभग एक साल से ज्यादा का समय लग जाता है l उसके बाद काम खत्म होने पर वर्ल्ड बैंक की टीम द्वारा इसका स्थलीय निरीक्षण तथा ऑडिट किया जाता है पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद वर्ल्ड बैंक पैसा देता हैl परंतु प्रोपेगेंडा गैंग करने वालों को कौन रोक सकता है।इस पूरे प्रकरण मे सोशल मीडिया पर परियोजना के फोटो और जो वीडियो फैलाई जा रही हैं। जबकि सुरक्षा की संवेदनशीलता के कारण यह शासकीय गुप्त बात अधिनियम 1923 के अंतर्गत प्रतिबंधित होने के कारण बैराज क्षेत्र के वीडियो/फ़ोटो खीचना व प्रसारित करना उक्त अधिनियम का सीधा उल्लंघन है, इस प्रकार के कृत्य से परियोजना को खतरा हो सकता सकता है यूजेवीएन लिo को परियोजना की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वालो के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी चाहिए l

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button