FeaturedNational NewsUttarakhand News
स्वतंत्रता दिवस के पूर्व संध्या पर जौनसार-बावर के नाम एक सन्देश
स्वतंत्रता दिवस के पूर्व संध्या पर जौनसार-बावर के नाम एक सन्देश
15अगस्त1947को हमारा देश आजाद हुआ आज जितना बूढ़ा हमारा देश है, इतना ही बूढ़ा जौनसार बावर भी है, लेकिन विकास के मामले में जौनसार आज भी 60-70 के दशक वाला अर्थात रोटी, कपड़ा और मकान से थोड़ा आगे निकल कर बिजली, पानी वह सड़़क तक ही पहुंच पाया है
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से अभी भी कोसों दूर है। जौनसार में आज तक ना तो कोई बड़ा केंद्रीय/ प्रांतीय उपक्रम खुल पाया और ना ही भविष्य में खुलने की संभावना है। इसके लिए जिम्मेदार कौन है, क्या हमारी राजनीति फेल हुई है? या राजनीति को चलाने वाले फेल हुए हैं?या फिर हमारा समाज ही फैल हो गया है। खैर जो भी हो..
जौनसार-बावर अपनी वसुंधरा के संसाधनों को पहिचानने और उनसे लाभ उठाने में पिछड़ गया है, जौनसार की भूमि भी जुब्बल, सिरमोर( हि० प्र०) के समान अपनी संतान को समृद्धि की ओर ले जाने में सक्षम है पर जौनसार बावर के लोग इसका प्रयोग नहीं करते या कम करते हैं जौनसार बावर में प्रतिवर्ष लाखों टन फलों और सब्जियों का आयात जौनसार से बाहर के क्षेत्रों से किया जाता है
कालसी, हरिपुर, लाखामंडल, साहिया, चकराता, त्यूनी वह कोटी,क्वानू, मिनस तक, सड़क के निकट के 10-20 मील दूर तक के गांव में साग- सब्जी की आपूर्ति विकास नगर से आयात कर होती है। स्थानीय कुटीर उद्योग समाप्त हो गए हैं
छोटी-छोटी वस्तुएं भी जैसे टोकरी, झाडू ,रस्सी, मिट्टी और काष्ट के भांड, कृषि के उपकरण, बांस की सामग्री आदि के पात्र, पत्तों से बनी सामग्री आदि जिसका उत्पादन जौनसार में पहले होता था और आज भी सरलता से हो सकता है