संत निरंकारी सत्संग भवन विकास नगर में देहरादून बालावाला से आए प्रचारक महात्मा शशि कपूर जी ने अपने विचारों में फरमाया की गुरु और शिष्य का रिश्ता पावन तब भी था और अब भी है
नाम ईश्वर का मन भावन तब भी था और अब भी है भक्ति की जरूरत तब भी थी और अब भी है जिस वक्त व्यक्ति के मन में यह भाव उत्पन्न हो जाते हैं कि मुझे भक्ति के मार्ग पर चलकर ज्ञान की प्राप्ति करनी है उसको ज्ञान प्राप्त हो भी जाता है मन में जिज्ञासा जरूरी है परमात्मा पर विश्वास बिल्कुल उस बच्चें की तरह करो जिसको आप हवा में उछालो तो वह हंसता है डरता नहीं क्योंकि वह जानता है कि आप उसे गिरने नहीं देंगे। जो व्यक्ति परमपिता परमात्मा से प्रेम करता है उसकी चर्चा करता है उसका गुणगान करता है तो परमात्मा भी उस व्यक्ति को बहुत प्रेम करता है ब्रांच मुखी नरेंद्र कुमार राठौर ने देहरादून बालावाला से आए प्रचारक महात्मा एवं उनकी टीम का स्वागत किया और धन्यवाद भी किया कि यह सत्य का पैगाम निरंतर निरंतर सभी के हिस्से में आए जब हम सुखी हुए हैं और भी सुखी हो जाए सत्संग में आए महात्मा डॉक्टर कैलाश, पुजा बिष्ट, प्रमिला, सार्थक, संस्कृति, डीएस रावत, राकेश, उमराव, वीके पड़ा, आर पी हिंगवान, आदि मौजूद रहे