इतिहास के पन्नों पर दर्ज है रघुनाथ सिंह नेगी का संघर्ष हर जांच में शासन को देनी पड़ी क्लीन चिट, जांच में निकले बेदाग वरिष्ठ संवाददाता विकासनगर। प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार की लड़ाई को लेकर उन्होंने उच्च न्यायालय में वर्ष 2014 में कई जनहित याचिकाएं दाखिल की। न्यायालय में हुई नियुक्तियों में फर्जीवाड़े को लेकर मोर्चा खोला।
जिस पर उच्च न्यायालय व सरकार ने मिलकर उनके खिलाफ जांच कराई, लेकिन जांच में ईमानदारी के चलते उन्हें शासन को क्लीन चिट देनी पड़ी। तत्कालीन राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी के खिलाफ भी मोर्चा खोला।
राजभवन ने खिन्न होकर गोपनीय जांच कराई। जिसमें वे बेदाग साबित हुए। राज्यपाल डॉ. केके पॉल के खिलाफ भी मोर्चा खोला। राजभवन ने गोपनीय जांच कराई। जिसमें वे बेदाम साबित हुए। भाजपा सरकार में गढ़वाल मंडल विकास निगम के उपाध्यक्ष रहे। अपनी ही सरकार के भ्रष्टाचार एवं कर्मचारियों के प्रति सरकार की उदासीनता को लेकर पद से इस्तीफा दे दिया। ——————- संघर्ष की बानगी जनता के लिए किए गए संघर्ष के लिए उन्हें कई मुकदमें भी झेलने पड़े। पुलिस की लाठी भी खानी पड़ी। जेल भी गए। जनता के अधिकारों की लड़ाई के लिए कई बार गिरफ्तारियां भी दीं। ———- ऐसा रहा राजनीतिक सफर वर्ष 2002 में निर्दलीय रूप से विकासनगर विधानसभा से चुनाव लड़ा। वर्ष 2007 में एनसीपी से विधान सभा चुनाव लड़ा। वर्ष 2009 के उपचुनाव में विकासनगर सीट पर पहली बार मुस्लिमों का भाजपा के पक्ष में जबरदस्त मतदान कराया। क्षेत्र में उनकी मुस्लिमों एवं मध्यम तबके के बीच जबरदस्त पकड़ है। लगभग 25 वर्षों से सड़क पर जनता के लिए लड़ने का रिकॉर्ड है। रघुनाथ सिंह नेगी के पिता पूर्व सैनिक रहे हैं। नेगी बीकॉम के छात्र रहे हैं। वर्ष 1993 से 2000 तक समाजवादी पाटी में कई पदों पर जिम्मेदारी निभाई। वर्ष 2000 में जिला महासचिव कांग्रेस कमेटी रहे। वर्ष 2002 में एनसीपी के जिलाध्यक्ष बने। वर्ष 2008 में कांग्रेस के प्रदेश संगठन सचिव रहे। वर्ष 2009 में भाजपा में शामिल हुए। वर्ष 2010 में गढ़वाल मण्डल विकास निगम में उपाध्यक्ष (राज्य मंत्री) बने। वर्तमान में गैर राजनीतिक संगठन जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष हैं। ———