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उद्यान घोटाले की सीबीआई जांच रुकवाने के मामले में मंत्री जोशी हों बर्खास्त -मोर्चा     

उद्यान घोटाले की सीबीआई जांच रुकवाने के मामले में मंत्री जोशी हों बर्खास्त -मोर्चा                             मंत्री की नाक के नीचे कैसे हुआ इतना बड़ा घोटाला | #हाईकोर्ट के सीबीआई जांच मामले में क्यों डरे थे मंत्री गणेश  सीबीआई जांच न हो इसके लिए क्यों बनाया सरकार पर दबाव । मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में क्यों दाखिल कार्रवाई एसएलपी ! मंत्री दे रहे बयान भ्रष्टाचार खत्म करने संबंधी ! विकासनगर -जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि उद्यान घोटाले ने कृषि(उद्यान) मंत्री श्री गणेश जोशी एवं निदेशक श्री एच एस बवेजा (कमाऊ पुत) की पोल पट्टी खोलकर रख दी है, जिसमें उनकी जुगलबंदी ने करोड़ों रुपए की बंदरबाट/ फर्जीवाड़ा कर प्रदेश की छवि को तार-तार करने का काम किया | नेगी ने कहा कि इस घोटाले की पटकथा यह थी कि इस उद्यान घोटाले की जांच की मांग को लेकर नौगांव विकासखंड के किसानों ने मंत्री श्री गणेश जोशी से घोटाले का पर्दाफाश करने की मांग की,तो सिंघम की तरह आनन -फानन में श्री जोशी ने सचिव को जांच के निर्देश दिए, लेकिन उनको मालूम नहीं था कि यह घोटाला उनके कुमाऊ पुत श्री बबेजा का है | कर्मठ सचिव द्वारा जिलाधिकारी आदि को तत्काल जांच के निर्देश दिए गए,जिसके क्रम में मात्र एक-दो के भीतर ही जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई |सूत्र बताते हैं कि जांच बैठाए जाने के मामले में श्री बवेजा ने मंत्री से नाराजगी जाहिर कि आपने जांच के निर्देश क्यों दिए, जबकि आपका भरपूर आर्थिक ख्याल रखा गया ! रिपोर्ट आने के पश्चात मंत्री श्री जोशी के पांव के नीचे की जमीन खिसक गई कि मैंने अपने पांव पर ही कुल्हाड़ी क्यों दे मारी ! इस घोटाले को लेकर मा. उच्च न्यायालय ने वर्ष 2023 को सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे, लेकिन खुद व अपने कमाऊ पूत को फंसता देख जग हंसाई कराने/ सीबीआई जांच निरस्त कराने जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने चले गए, जिस पर उनकी एसएलपी खारिज हो गई |मंत्री श्री जोशी को किस बात का डर था कि सीबीआई जांच रोकने को मा.सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा। दुर्भाग्य की बात है कि आज मंत्री श्री गणेश जोशी बयान दे रहे हैं कि भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जबकि सारा घोटाला उनकी ही नाक के नीचे हुआ है । श्री जोशी का बयान बहुत ही हास्यपद है, जिसकी जितनी निंदा की जाए उतनी ही कम है । सवाल इस बात का है कि इतना बड़ा घोटाला हो गया और भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए मंत्री श्री गणेश जोशी ने सरकार को अंधेरे में रखकर मा.सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करवाना अपने आप में ही बहुत बड़ा घोटाला है । मंत्री श्री जोशी कह रहे हैं कि निदेशक की नियुक्ति मेरे कार्यकाल में नहीं हुई, यह बयान और भी बहुत गैर जिम्मेदाराना है ।यहां मामला नियुक्ति का नहीं है बल्कि उनके कार्यकाल में हुए घोटाले का है । मोर्चा सरकार से मांग करता है कि मंत्री श्री गणेश जोशी का नार्को टेस्ट करवा कर बर्खास्तगी की कार्रवाई अमल में लाएं ।

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