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होली के अवसर पर संत निरंकारी माता जी के विचार

*सतगुरु माता सविन्दर हरदेव जी महाराज के प्रवचन (02-मार्च-18, निरंकारी स्कूल, निरंकारी कॉलोनी,दिल्ली )*

प्यारी साध संगत जी प्यार से कहना, धन निरंकार जी

1) साध संगत जी,कुछ दिन पहले ही होली की बात चल रही थी,
तो किसी ने एकदम कहा
कि होली पानी मे रंग घोलके सबके ऊपर डालते है,
और उसके बाद उससे भी ज्यादा पानी वो रंग उतारो के लिए waste करते है
और
वैसे आजकल देखो तो कहते है पानी की शॉर्टेज चल रही है,
तो तभी साथ मे एक छोटे बच्चे ने ये भी कह दिया कि होली तो रंगों का त्यौहार है,

2) तो साध संगत जी, एकदम mind में एक ध्यान आया
कि होली के रंग जो है सो है, पर आजकल तो इंसान का भी पता नही चलता ना जाने कितने रंग बदल लेता है,
अपने फायदे और दूसरे के नुकसान के लिए ना जाने कब कौनसा रंग ले आये
इसलिए संत महापुरष यही अरदास करते है ,
कि हमे इस बेरंगे के नाम से, इस बेरंगे के रंग के साथ जोडो ,
क्योंकि अगर ये रंग चढ़ेगा
तो दुनिया का कोई रंग असर नही करेगा और इस रंग के साथ सेवा सिमरन सत्संग वाले रंग भी आ जायँगे ,

3) और जो भी संत इस बेरंगे के रंग के साथ जुड़ता है,
तो वह पूरी कोशिश करता है,
कि जैसे हमारा जीवन खुशहाल हुआ है,
हम औरो को भी इस रंग के साथ जोड़ कर उनका जीवन खुशहाल कर पाए
और ऐसे संतो महापुरषों के लिए तो हर रोज ही HOLI होता है,
क्योंकि उनका अपना जीवन भी HOLY होता है ,
जैसे वो इंग्लिश में HOLY वाला होता है,

4) तो निरंकर कृपा करें,
अंत स्वास तक इस बेरंगे के साथ जुड़के सेवा सिमरन सत्संग करते हुए ये जीवन बीते।

प्यारी साध संगत जी, प्यार से कहना धन निरंकार जी।

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