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सड़क व स्वास्थ्य सुविधा न होने पर बीमार महिला को कुर्सी पर बांध कधों पर उठा मसूरी पहुचाया।

सड़क व स्वास्थ्य सुविधा न होने पर बीमार महिला को कुर्सी पर बांध कधों पर उठा मसूरी पहुचाया।

मसूरी। भले ही राज्य बने 22 साल हो गये हों लेकिन आज भी पहाड़ों में पहाड़ जैसी समस्यायें जस की तस है। जिस पहाड़ों की रानी मसूरी में ब्रिटिश काल में आधुनिक सुविधायें ब्रिटिश सरकार ने उपलब्ध करा दी थी

वहीं मसूरी से सटे ग्रामीण क्षेत्र देश की आजादी के 75 साल बाद भी सड़क व स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के न होने से रोगियों को कुर्सी पर बांध कर उपचार के लिए ले जाने को बाध्य हो रहे हैं।
मसूरी से मात्र पांच किलो मीटर की दूरी पर टिहरी गढवाल के जौनपुर विकासखंड की छह जुला पटटी का कफुल्टी गांव है जहां आज भी मोटर मार्ग न होने के कारण रोगियों को उपचार के लिए कुर्सी पर बांध कंधों पर उठा कर मसूरी लाने को मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला सामने आया जब आज बृहस्पति वार को एक ग्रामीण महिला को बीमार होने पर गांव के युवाओं ने कुर्सी पर डंडे बांध कर मसूरी पहुंचाया। यह दुर्भाग्य नही ंतो और क्या है कि आजादी के 75 साल बाद व राज्य बनने के 22 साल बाद भी गांव सड़क व स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं। कफुल्टी गांव के निवासी भगत दास की मां को बीमार होने पर कुर्सी पर बांध कर मसूरी लाना पड़ा। महिल कमल देवी के पुत्र भगत दास ने बताया कि उनकी मां की तबियत खराब हो गई लेकिन गांव व आस पास कोई स्वास्थ्य न होने व सड़क न होने के कारण रोगी मां को मसूरी लाने के लिए गांव के युवाओं को एकत्र किया गया जिन्होंने उन्हें मसूरी पहुचाया। कुर्सी पर डंडे बांध कर मसूरी लाने वाले युवा विनोद पंवार ने बताया कि गांव में मोटर मार्ग न होने व स्वास्थ्य सुविधा न होने से कई रोगियों व गर्भवती महिलाओं को रास्ते में ही दम तोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। लेकिन अब खटटा पानी तक कच्ची सड़क बन जाने से थोड़ा राहत मिली व ग्रामीण महिला को कफुल्टी गांव से जोड़ी तक कुर्सी पर उठा कर लाना पड़ा। उन्होंने कहा कि गांव वासियों को न देश की आजादी से कोई लाभ मिला और न राज्य बनने से कोई लाभ मिला। और आज भी सड़क व स्वास्थ्य सुविधा के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं। युव

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